चर्चा में क्यों? इंडिगो, स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम 'गगन' (GAGAN) का इस्तेमाल कर विमान की लैंडिंग कराने वाली देश की पहली एयरलाइन बन गई है एयरलाइन के विमान को राजस्थान के किशनगढ़ हवाई अड्डे पर 'गगन' तकनीक का इस्तेमाल करके उतारा गया * ग़ौरतलब है कि नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा जुलाई 2021 के बाद भारत में पंजीकृत सभी विमानों को गगन उपकरण से लैस करने का आदेश जारी किया था
'गगन' (GAGAN) क्या है?
GAGAN का पूरा नाम है- GPS Aided GEO Augmented Navigation (जीपीएस आधारित भू-संवर्धित नौसंचालन) यह एक सैटेलाइट बेस्ड ऑग्मेंटेशन सिस्टम (Space Based Augmentation System- SBAS) है
गगन प्रणाली को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है यह एक स्वदेशी निर्मित प्रणाली है
गगन उपग्रहों की एक ग्राउंड स्टेशनों की एक प्रणाली है GAGAN जीपीएस सिग्रल में सुधार करती है, जिससे स्थिति की बेहतर सटीकता मिलती है GAGAN मकसद भारतीय उड़ान सूचना क्षेत्र (Flight Information Region-FIR) में सर्वोत्तम संभव नौवहन सेवाएँ प्रदान करना है
गौरतलब है कि केवल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS), सटीकता, इंटीग्रिटी और उपलब्धता के मामले में ICAO (International Civil Aviation Organization) की नौवहन आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है 'गगन' आयनोस्फेरिक, समय और उपग्रह आदि गड़बड़ियों के कारण GPS सिग्रल्स में आने वाली त्रुटियों में सुधार करता है यह सभी उपग्रहों के संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान कर सकता है
कार्य गगन स्थिति अनुमानों की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए GPS रिसीवर्स के लिए संवर्धित (Augmented) जानकारी प्रदान करता है यह दो खण्डों में विभाजित है - एक ग्राउंड सेगमेंट और दूसरा स्पेस सेगमेंट वर्तमान में ग्राउंड सेगमेंट में पूरे भारत में फैले 15 रेफरेंस स्टेशन और तीन मास्टर कंट्रोल सेंटर हैं, जोकि विभिन्न तय जगहों पर तैनात हैं और जीपीएस सिग्नल प्राप्त करते हैं
इन रेफरेंस स्टेशनों की जगहों को सर्वेक्षण के ज़रिये चुना जाता है ताकि प्राप्त जीपीएस सिग्रल्स में किसी भी गड़बड़ी का पता लगाया जा सके
GAGAN के लाभ
गगन कई प्रकार के कार्यों में लाभ प्रदान कर सकता है, जैसे-
मार्ग के साथ-साथ लेडिंग के दौरान नेविगेशन में मदद करने में नेविगेशन संचालन में यातायात प्रबंधन में
बंदरगाह संचालन में दुर्घटना विश्लेषण में
अपतटीय अन्वेषण तथा मत्स्य दोहन आदि
इसका उपयोग भारत में भूमि परिवहन प्रबंधन, चाहे सड़क हो या रेलवे, के लिए भी किया जा सकता है
यह भूमि परिवहन की क्षमता और सुरक्षा दोनों को बढ़ाएगा गगन, किसानों के लिए हवाई फसल छिड़काव आदि में मददगार हो सकता
हाल ही में इंडिगो, स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली 'गगन' का उपयोग करके विमान उतारने वाली देश की पहली एयरलाइन बन गई है इंडिगो ने 27 अप्रैल को इंडिगो के ATR-72 विमान में जीपीएस सहायता प्राप्त Geo- augmented navigation (GAGAN) का उपयोग किया गया था
गगन को संयुक्त रूप से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है
गगन नेविगेशन प्रणाली:
• यह एक 'सैटेलाइट बेस्ड ऑग्मेंटेशन सिस्टम' (SBAS) है
• यह प्रणाली अन्य अंतर्राष्ट्रीय SBAS प्रणालियों के साथ अंतः प्रचालनीय होगी और क्षेत्रीय सीमाओं के पार नेविगेशन की सुविधा प्रदान करेगी
• यह प्रणाली आवश्यक सटीकता के साथ उपग्रह आधारित नेविगेशन सेवाएँ प्रदान करती है।
•'गगन' सिग्नल-इन-स्पेस जीसैट-8 और जीसैट-10 के माध्यम से उपलब्ध है।
'गगन' से विमानन क्षेत्र के लिए लाभ :
> उपकरणों की लागत में बचत
> अंतरिक्ष क्षमता में वृद्धि तथा विश्वसनीयता की वृद्धि > ऑपरेटरों के लिए काम के बोझ में कमी
> हवाई यातायात के लिए समुद्री क्षेत्र की कवरेज पर नियंत्रण
> उच्च सटीकता की स्थिति
> ईंधन की बचत
• उड़ान सुरक्षा
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) का विस्तार नेविगेशन सिस्टम की विशेषताओं में सुधार का एक तरीका है, जैसे कितेहरागणना प्रक्रिया में सूचना के एकीकरण के माध्यम सेसटीकता, विश्वसनीयता और उपलब्धता एमएम
यह इसरो और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्तरूप से विकसित एक अंतरिक्ष-आधारित ऑग्मेंटेशन सिस्टम (एसबीएएस)है।
GAGAN उपग्रहों और ग्राउंड स्टेशनों की एक प्रणाली है जोGPS सिग्नल सुधार प्रदान करती है, जिससे आपको बेहतर स्थितिसटीकता मिलती है।
केवल GPS सटीकता, अखंडता और उपलब्धता के लिएICAOS नेविगेशनल आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है।GAGAN आयनमंडलीय गड़बड़ी, समय और उपग्रह कक्षा त्रुटियोंके कारण होने वाली GPS सिग्नल त्रुटियों के लिए सुधारकरता है।
गगन स्थिति अनुमानों की सटीकता और विश्वसनीयताबढ़ाने के लिए जीपीएस रिसीवर्स के लिए संवर्धित सूचनाप्रदान करता है।गगन कार्य कर रहा हैगगन प्रणाली की वास्तुकला के दो खंडहैं, एक भू खंड है और दूसरा अंतरिक्षखंड है।
वर्तमान में ग्राउंड सेगमेंट में पूरेभारत में फैले 15 रेफरेंस स्टेशन और तीन मास्टरकंट्रोल सेंटर हैं।ये 15 रेफरेंस स्टेशन विभिन्न निश्चित स्थानों परतैनात हैं जो जीपीएस सिग्नल प्राप्त करते हैं।सर्वेक्षण द्वारा संदर्भ स्टेशनों के स्थानों को सटीकरूप से चुना जाता है ताकि प्राप्त जीपीएस संकेतोंमें किसी भी त्रुटि का पता लगाया जा सके।
गगन से किसे लाभ होता है?उड्डयन: गगन को रास्ते में और साथ ही लैंडिंग के दौरान नेविगेशनकी सहायता के लिए डिज़ाइन किया गया है।संभावित लाभ बढ़े हुए यातायात से निपटने के लिए हवाई यातायातनियंत्रण में सहायता करेंगे।समुद्री: गगन का उपयोग नेविगेशन संचालन,यातायात प्रबंधन, बंदरगाह संचालन, हताहत विश्लेषणऔर अपतटीय अन्वेषण और मत्स्य पालन के शोषणके लिए किया जा सकता है।
भूमि परिवहन: गगन का उपयोग भारत में भूमि परिवहन के प्रबंधनके लिए किया जा सकता है, चाहे वह सड़क या रेलवे द्वारा हो।यह भूमि परिवहन की क्षमता और सुरक्षा दोनों कोबढ़ाएगा।विविध संभावित उपयोग: गगन किसानों को हवाई फसलछिड़काव या सटीक खेती में मदद कर सकता है।
भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र का पहला देश बन गया है जिसके पास उपग्रहआधारित लैंडिंग प्रक्रिया है।भारत अपने स्वयं के उपग्रह-आधारित संवर्धन प्रणाली (एसबीएएस) के साथअमेरिका, जापान और यूरोप के एक छोटे समूह में शामिल हो गया।
SBAS एक नेविगेशन सिस्टम है, जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइटसिस्टम्स (GLONASS) पर बनाया गया है, और इन नेविगेशनटूल्स की सटीकता और अखंडता को जोड़ता है।⚫ इनमें शामिल हैं: चीन का BeiDou SBAS, दक्षिण कोरिया का कोरियाऑग्मेंटेशन सैटेलाइट सिस्टम (KASS), रूस का सिस्टम फॉर डिफरेंशियल करेक्शनएंड मॉनिटरिंग (SDCM)।एलपीवी दृष्टिकोण क्या है?एलपीवी (लोकलाइज़र परफॉर्मेंस विद वर्टिकल गाइडेंस) LPV (Localiser Performance with Vertical Guidance) एक सैटेलाइट-आधारित प्रक्रियाहै जिसका उपयोग विमान द्वारा लैंडिंग उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
एलपीवी का मुख्य आकर्षण यह है कि यह हवाईअड्डे पर लैंडिंग को आसान बनानेकी क्षमता रखता है जो महंगे इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम सेलैस नहीं है, जिसमें कई छोटे क्षेत्रीय और स्थानीय हवाईअड्डेशामिल हैं।
2015 में, GAGAN सिस्टम को DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय)द्वारा वर्टिकल गाइडेंस (APV 1) और एन-रूट (RNP 0.1) संचालनके लिए प्रमाणित किया गया था।
गगन संदेश सेवा (जीएमएस)भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस)के सहयोग और समन्वय में एएआई गगन संदेश सेवा (जीएमएस)के साथ आया है।यह प्राकृतिक आपदाओं, और आपदाओं - जैसे बाढ़, भूकंप आदिकी घटना पर मछुआरों, पूर्व और आपदा प्रभावित लोगों कोसतर्क संदेश देने में सहायता करेगा।
एसबीएएस क्या है?सैटेलाइट बेस्ड ऑग्मेंटेशन सिस्टम (SBAS) एक विस्तृत क्षेत्र वृद्धिप्रणाली है जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नेविगेशन सिग्नल जैसे GPSको संवर्धित सटीकता और अखंडता प्रदान करता है। एक SBAS एक विस्तृत क्षेत्रमें बेहतर सेवा उपलब्धता प्रदान करता है और अकेले GNSS की तुलना में अधिकविश्वसनीय नेविगेशन सेवा है• राजस्थान में अजमेर के पास छोटे हवाई अड्डे पर इस परीक्षण लैंडिंग के साथ, भारत अमेरिका, जापानऔर यूरोप के एक छोटे समूह में शामिल हो गया, जिसके पास अपनी स्वयं की उपग्रह-आधारितवृद्धि प्रणाली (एसबीएएस) है।जबकि अमेरिका, जापान, यूरोप और भारत द्वारा विकसित एसबीएएस पहले सेही चालू हैं, विकास के तहत कई और हैं। इनमें चीन का BeiDou SBAS, दक्षिणकोरिया का कोरिया ऑग्मेंटेशन सैटेलाइट सिस्टम (KASS), रूस कासिस्टम फॉर डिफरेंशियल करेक्शन एंड मॉनिटरिंग (SDCM) और ऑस्ट्रेलियाऔर न्यूजीलैंड का सदर्न पोजिशनिंग ऑग्मेंटेशन नेटवर्क (SPAN)शामिल हैं।
एसबीएएस एक नेविगेशन प्रणाली है, जो इन नेविगेशन उपकरणों कीसटीकता और अखंडता को जोड़ती है। विमान संचालकों के लिए, नागरिक औरसैन्य दोनों के लिए, इसका मतलब है कि पायलट छोटे हवाई अड्डों और हवाईपट्टियों पर नेविगेशन मार्गदर्शन का उपयोग करके जमीन पर महंगे उपकरण-आधारितलैंडिंग सिस्टम स्थापित किए बिना विमान को उतार सकते हैं।नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने भारत में पंजीकृत सभीविमानों के लिए GAGAN-अनुरूप उपकरणों से लैस होने के लिए 1 जुलाई,2021 की समय सीमा निर्धारित की थी। एक सरकारी सूत्रके अनुसार, भारत का अधिकांश बेड़ा अब गगन मानकों केअनुरूप है।एकमात्र अपवाद बोइंग 787 विमान है, जो एयर इंडिया और विस्ताराद्वारा संचालित हैं।
गगन• गगन दिल्ली, गुवाहाटी, कोलकाता, अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु,जम्मू और पोर्ट ब्लेयर में ग्राउंड स्टेशनों की एक प्रणालीका उपयोग जीपीएस नेविगेशन सिग्नल को आवश्यक वृद्धि प्रदानकरने के लिए करता है।जीपीएस उपग्रह डेटा एकत्र करने के लिए पूरे देश में सटीक रूप सेसर्वेक्षण किए गए ग्राउंड रेफरेंस स्टेशनों का एक नेटवर्क रणनीतिक रूप से स्थितहै।इस जानकारी का उपयोग करते हुए, बेंगलुरु में मास्टर कंट्रोल सेंटर किसी भीसिग्नल त्रुटि को ठीक करने के लिए संदेश तैयार करता है।इन सुधार संदेशों को तब अपलिंक किया जाता है और जियोस्टेशनरीसंचार उपग्रहों के माध्यम से जीपीएस के समान आवृत्ति का उपयोग करकेबोर्ड विमान पर रिसीवरों को प्रसारित
GAGAN विषुवतीय क्षेत्र की सेवा करने वाली दुनिया की पहलीSBAS प्रणाली है।यह प्रणाली दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन(सार्क) के सदस्य देशों के लिए उपलब्ध होगी।यह 3 मीटर की सटीकता से पायलटों को भारतीय हवाई क्षेत्र में नेविगेट करने में मददकरने में सक्षम होगा
जीपीएस और के बीच क्या अंतर है• जीपीएस उपग्रहों का मुख्य तारामंडल है जो अंतरिक्ष संचारण स्थितिऔर समय डेटा से संकेत प्रदान करता है। गगन एक वृद्धिप्रणाली है जो सटीकता, उपलब्धता, निरंतरता और अखंडता मेंसुधार करके जीपीएस समूह को बढ़ाती है। यह पूर्व-निर्धारित सेवामात्रा में अपने उपयोगकर्ताओं को जियोस्टेशनरी उपग्रहों केमाध्यम से जीपीएस उपग्रहों के लिए सुधार और अखंडता सूचना भेजकरप्राप्त किया जाता है।गगन के पास तीन स्वदेशी जियोस्टेशनरी उपग्रह हैं जोएसबीएएस सिग्नल प्रसारित करते हैं। उपग्रहों की पहचान GSAT-8और GSAT-10 के रूप में की गई है। एक अन्य GEO उपग्रह GSAT-15कक्षा में है और उपग्रह के साथ एकीकरण प्रगति पर है