स्टार्ट अप इंडिया
स्टार्ट अप इंडिया स्टैंड अप इंडिया युवा ऊर्जा किसी भी देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति देने वाली ताकत है और कौशल विकास एवं रोजगार इस ताकत को आगे बढ़ाने के सर्वोत्तम साधन हैं। आज भारत के पास युवा जनसंख्या का सबसे बड़ा भंडार है, परंतु यह कुशल मानव बल संकट से जूझ रहा है। युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए अनुसूचित जनजाति के लोगों, आदिवासियों, महिलाओं एवं हाशिए पर पड़े लोगों को ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने
की आवश्यकता है जो उनकी एवं विविध जरूरतों के अनुसार हो। ऐसे कार्यक्रम एवं महा का प्रत्यक्ष प्रभाव इन लोगों में उद्यमशीलता के विकास के रूप में सामने आएगा। वर्तमान में देश में स्वरोजगार तथा उद्यमशीलता के क्षेत्र में महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति का अनुपात बेहद कम है। वित्तिय संस्थाओं का संपर्क इन वर्गों तक कम होने के कारण यह वर्ग स्वरोजगार की दिशा में सशक्त नहीं हो सका। अतः भारत के विकास को गति प्रदान करने के लिए ऐसे कार्यक्र की आवश्यकता महसूस की गई जिससे लोगों के भीतर आत्मविश्वास, उद्यमशीलता व स्वरोजगार के विकास हेतु आर्थिक सहयोग सुनिश्चित किया जा सके। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्ट अप इंडिया का शुभारंभ 16 जनवरी, 2016 और स्टैंड अप इंडिया का शुभारंभ 5 अप्रैल, 2016 को किया। स्टार्ट अप इंडिया योजना समाज के प्रत्येक वर्ग में उद्यमशीलता के विकास हेतु लाई गई है, जबकि स्टैंड अप इंडिया विशेष रूप से महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति को वित्तिय सहायता सुनिश्चित कर उद्यमशील बनाने हेतु लक्षित है। स्टॉट अप इकाई से तात्पर्य ऐसी इकाई से है, जो भारत में पांच वर्ष से पूर्व स्थापित अथवा पंजीकृत न हुई हो और जिसका कारोबार किसी पूर्व वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ से अधिक न रहा हो। स्टैंड अप से तात्पर्य लक्षित समूह को उद्यमशील, आत्मनिर्भर और स्वरोजगार के विकास में आने वाली कठिनाइयों के प्रति खड़े रहने की और इन्हें दूर करने की क्षमता को बढ़ाना है। स्टार्ट अप इंडिया कार्ययोजना- 16 जनवरी, 2016 को नई दिल्ली में विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार के स्टार्ट अप इंडिया अभियान की कार्य योजना पेश की। इस कार्ययोजना में श्रम एवं पर्यावरण से जुड़े नौ कानूनों के लिए स्वप्रमाणन की सुविधा, स्टार्ट अप उद्यमियों को तीन वर्ष तक जांच से छूट और लाभ पर तीन वर्ष तक आयकर से छूट प्रदान की गई है। स्टार्ट अप के लिए 10 हजार करोड़ रूपये की कोष की व्यवस्था की गई है। पेटेंट पंजीकरण में स्टार्ट अप उद्यमियों को पंजीकरण शुल्क में 80 प्रतिशत की छूट देकर पेटेंट व्यवस्था को भी सरल किया गया है। साथ ही स्टार्ट अप उद्यमों को सरकारी ठेकों में अनुभव और कारोबार सीमा के मामले में भी छूट देने के प्रावधान हैं। इस तरह यह योजना उन लोगों के लिए तोहफा है जो स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ करना चाहते हैं। अपने कारोबार को बेहतर स्टार्ट अप प्रदान करना चाहते हैं। स्टैंड अप इंडिया कार्ययोजना इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति/जनजाति तथा महिला उद्यमियों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इसी उद्देश्य की प्राप्ति हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल, 2016 को समता दिवस के अवसर पर स्टैंड अप अभियान की शुरूआत की। इस योजना के तहत देश भर में फैली 1.25 लाख बैंक शाखाओं में से प्रत्येक शाखा अपने क्षेत्र में कम-से-कम दो परियोजनाओं के लिए लक्षितों को ऋण उपलब्ध कराएगी। इससे ढाई लाख लघु परियोजनाओं की स्थापना देश भर में विभिन्न क्षेत्रों में हो सकेगी। प्रत्येक परियोजना की स्थापना ऋण देने वाली बैंक शाखा के क्षेत्र में ही करने की योजना है। गैर-कृषि क्षेत्र में स्थापित किए गए नए उद्यमों को ऋण की भुगतान अवधि 7 वर्ष निर्धारित की गई है। ऋण की राशि 10 लाख से 1 करोड़ रूपये इस योजना के अंतर्गत उपलब्ध कराई जाएगी। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के जरिए 10000 करोड़ रूपये की आरंभिक राशि के साथ पुनर्तित्त की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना है। योजना के अंतर्गत ऋण समुचित रूप से सुरक्षित होंगे और उन्हें ऋण समुचित रूप से सुरक्षित होंगे और उन्हें ऋण गारंटी योजना के माध्यम से ऋण गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी। राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी (NCGTC) के माध्यम से एक क्रेडिट गारंटी तंत्र का सृजन किया जाएगा और वित्तीय सेवा विभाग निपटानकर्ता होगा। देश में रोजगार के अवसरों तथा संपत्ति सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नए उद्यमों को इस अभियान के तहत विस्तार दिया जाता है। देश के विकास को गति प्रदान करने के लिए रोजगार देने वाले उद्यमियों की संख्या को बढ़ावा, इन अभियानों का प्रमुख ध्येय है। भारत में स्टार्ट अप और स्टैंड अप अभियान के सफल होने की अपार संभावनाएं हैं।
वर्तमान में भारत में कारोबार करना आसान हो गया है। ट्विटर में जिपडॉयल के फाउंडर वेलरी वेगनर, जूमकर के सह-संस्थापक ग्रेग मोरॉन जैसे उद्यमियों ने भारत में कारोबार प्रारंभ किया है। ट्रेकर सीबी इनसाइट के अनुसार, यूनिकॉर्न क्लब में विश्व की 107 ग्लोबल फर्मों में 8 भारतीय कंपनियां शामिल हैं। अतः भारत कारोबार करने की दृष्टि से पसंदीदा स्थान बन रहा है। युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन प्रदान करने और जमीनी स्तर पर उन्हें ये सुविधाएं उपलब्ध होने से भारत में इस अभियान के सफल होने की अपार संभावनाएं हैं। इस अभियान को सफल बनाने हेतु कुछ जोखिमों को भी दूर करना आवश्यक है। देश में अधिकतर पूंजी का निवेश अचल संपत्तियों या सोने के कारोबार वाली योजनाओं में किया जाता है। ऐसे में नए छोटे कारोबारियों पर विश्वास हासिल करने का दबाव होगा। साथ ही ऐसे उद्यमियों को तकनीकी रूप से प्रतिस्पर्धा करने में भी कठिनाइयां उत्पन्न होंगी। स्टार्ट अप की संख्या में वृद्धि होने से निवेशकों को भी इस ओर आकर्षित करने की चुनौतियां होंगी। इसके अतिरिक्त पारदर्शिता और जवाबदेही की सुनिश्चितता ही इस अभियान को सफल बना सकेगी। 1.25 अरब की विविधता भरी जनसंख्या वाले देश में वृद्धि के स्तरों को समाज के सभी वर्गों तथा देश के सभी भागों तक ले जाना सबसे बड़ी चुनौती है, जिसका कुशल मानव संसाधन के निर्माण द्वारा संभव है। भारत में प्रतिभावान युवाओं की बढ़ती संख्या और कम श्रम लागत ने एक ज्ञान आधारित देश के रूप में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को स्थापित किया है। वर्ष 2030 तक भारत में कार्यकारी बल की संख्या एक अरब के करीब होगी। ऐसे में यहां के लोगों को रोजगार सृजन हेतु प्रेरित कर उचित प्रशिक्षण देना रणनीतिक आवश्यकता बन गया है। वर्ष 2025 तक भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश का वैश्विक कार्यबल में 35 प्रतिशत योगदान देने की उम्मीद है। इस परिदृश्य में स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, उद्यमशीलता, रोजगार कुशल प्रतिभा और नए उद्योगों के सृजन की दिशा में आगे बढ़ रहा है और भारत गुणवत्तापूर्ण मानव पूंजी के निर्माण एवं विकास के पथ पर अग्रसर है।