असहिष्णुता देश के लिए खतरा
असहिष्णुता देश के लिए खतरा भूमिका सहिष्णुता शब्द में 'अ' उपसर्ग लगने से असहिष्णुता बनता है। असहिष्णुता में नकारात्मकता द्वारा की भावना मौजूद है। असहिष्णुता वह स्थिति है, जो किसी दूसरे धर्म, समुदाय के लोगों के विचारों, हो स विश्वासों, मान्यताओं और प्रथाओं को मानने से इनकार करती है। समाज में बढ़ती असहिष्णुता नात से इनकार करने की भावना पैदा करके विभिन्न समूहों को अलग होने के लिए बाध्य करती है। असहिष्णुता विभिन्न समूह के लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ करके देश के विकास करने की क्षमता की को नष्ट कर देती है। असहिष्णु समाज में रहने वाले लोग दूसरे समुदाय से सम्बन्धित लोगों के आि विचारों, व्यवहारों, प्रथाओं और मान्यताओं के प्रति अपनी अस्वीकृति प्रदर्शित करने के लिए घातक है। प्रहार भी कर सकते हैं। बाधा पहुँचाती हैं। यह लोगों की धार्मिक, सांस्कृतिक, परम्पराओं, रीति- बढ़ रिवाजों और लोगों के विचारों में तमभेद के कारण उत्पन्न एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। यह लोगों की या राष्ट्रों के बीच युद्ध का मुख्य कारण है, जबकि सहिष्णुता का मूल्य भारतीय समाज में सदियों से समहित रहा है और यह हमारी संस्कृति की एक मुख्य विशेषता भी रही है। वर्तमान में इस मूल्य का क्षरण हुआ भारत: एक सहिष्णु देश भारत एक बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक व बहुधर्मी देश है। यहाँ के समाज का मूल मन्त्र 'वसुधैव कुटुम्बकम' है। इसी कारण, सदियों से जो भी आक्रमणकारी, व्यापारी, दास या समुदाय यहाँ आया, उसे यहाँ की सभ्यता ने अपने में समायोजित कर लिया। सबको अपना ही परिवार समझने की भावना ने यहाँ 'सहिष्णुता' के तत्व को बहुत महत्व दिया गया है। देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न भाषाओं की उपस्थितिय, भौतिक विभिन्नताएँ, संस्कृतियों में भिन्नता है लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रवाद और दूसरी संस्कृतियों का सम्मान करने की भावना यहाँ सबको आपस में जोड़ती है और एक दूसरे के प्रति सहिष्णु भी बनाती है। भारत की भौगोलिक अस्थिति भी ऐसी है कि यह पूर्व और पश्चिम को आपस में जोड़ती है, परन्तु वर्तमान में कुछ घटनाओं ने भारतीय समाज के 'सहिष्णु के आदर्श पर प्रश्नचिह्न लगाया है। यथ-साम्प्रदायिक दंगे, अलगाववादि आन्दोलन, क्षेत्रवाद, नस्लवाद, उत्तर-पूर्व के लोगों के साथ दुर्व्यवहार, भीड़ द्वारा हिंसा, हत्या, गोरक्षा के नाम पर गुण्डागढ़ी आदि इन सब कारकों के फलस्वरूप यह प्रतीत होने लगता है कि अब भारतीय समाज में 'असहिष्णुता का क्षरण होने लगा है वर्तमान में असहिष्णुता पर विवाद की पृष्ठभूमि आजकल कई बार महान् हस्तियों द्वारा अपने पुरस्कार लौटाए जा रहे हैं। यह सब असहिष्णुता के कारण ही हो रहा है दादरी में कुछ लोगों ने मिलकर एक युवक को केवल इसलिए मार डाला, क्योंकि उन्हें शक था कि वह गौमांस का उपयोग करता है। पूरी बात जाने बिना ही लोग अपना रोष प्रकट करने में लगे रहे। दादरी की इस घटना का विरोध करते हुए नयनतारा सहगल (भारतीय अंग्रेजी लेखिका) ने सहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया। इस कड़ी में कई महान् विभूतियों ने भी भारत में बढ़ रही असहिष्णुता के विरोध में अपने पुरस्कार लौटा दिए। ऐसे में बढ़ रहे असहिष्णुता के दौर में आमिर खान ने अपनी पत्नी किरण राव के विचार बताते हुए कहा कि कई बार वे भारत में रहने में असुरक्षित महसूस करती हैं और इसलिए क्या उन्हें भारत छोड़ देना चाहिए? उनके इस कथन ने पूरे भारत को आहत किया। लोग यह सोचने पर मजबूर हो गए कि भारत एक असुरक्षित राष्ट्र हो गया है और जहाँ लोगों को अपनी सुरक्षा का हमेशा डर बना रहता है। भारतीय समाज में असहिष्णुता के कारण समाज में असहिष्णुता कई कारणों से जन्म लेती है। सामान्यतः समाज में जब धार्मिक असहिष्णुता जन्म लेती है, तो वह राष्ट्र का बँटवारा करती है। यह पड़ोसियों के खिलाफ आपसी युद्ध के हालात पैदा करती है। असहिष्णुता व्यक्तियों के बीच स्वयं के अनुभवों के अभाव के कारण - उत्पन्न हो सकती है। आमतौर पर वे एक-दूसरे के प्रति अपनी राय व मान्यताओं के आधार पर बनाते हैं, जो बात आसानी से अपने निकटतम या सबसे प्रभावशाली लोगों के सकारात्मक और नकारात्मक विश्वासों से प्रभावित हो जाते हैं। अलग-अलग समूह के अन्य व्यक्तिगत दृष्टिकोण को भी मीडिया में उसकी छवियों के द्वारा बहुत आसानी से प्रभावित किया जाता है। मिथकों पर आधारित बुरी शिक्षण प्रणाली भी जनता को समाज में रह रहे विभिन्न धर्मों के प्रति आदर प्रेरित करने के स्थान पर दूसरी संस्कृति को जर्जर बनाती है। सोशल मीडिया अभिव्यक्ति का बहुत ही शक्तिशाली साधन हो गाया है। किसी भी प्रकार की घटना पर सभी तुरन्त ही विचार प्रकट कर देते हैं। Twitter, Facebook, You Tube आदि के द्वारा शीघ्र ही विचारों, वीडियो ऑडियो को सार्वजनिक रूप से लोगों तक पहुँचाया जाता पोस्ट पर अलग-अलग व्यक्ति द्वारा प्रतिक्रियाएँ दी जाती हैं। व्यर्थ की बहस, आरोप-प्रत्यारोपत बढ़ते जाते है। इस प्रकार अभिव्यक्ति को प्रकट करने के लिए लोगों ने एक-दूसरे की भावनाओं की चिन्ता करनी छोड़ दी है। कोई भ व्यक्ति किसी भी प्रकार से संयम नहीं रखना चाहता है। व्यक्ति एक-दूसरे के विचारों एवं भावनाओं की परवाह कीए बिना ही आचरण करता है। भारत के संविधान में अभिव्यक्ति के अधिकार है, किन्तु आज की जनता बिना सोचे ही उसका उपयोग कर रही है। अभिव्यक्ति के अधिकार के अन्तर्गत प्रत्येक भारतीय अपने विचार प्रकट करने के लिए स्वन्तर परन्तु आज इस अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार रखते हुए लोग एक-दूसरे की भावनाओं को आहत कर रहे हैं। असहिष्णुता के प्रभाव असहिष्णुता व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के लिए चिन्ता का विषय है, क्योंकि वह विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच हिंसा को जन्म देती है व समाज में रहने वाले लोगों को अलग करती मी असहिष्णुता मनुष्य के मस्तिष्क को संकीर्ण बनाती है और समाज व राष्ट्र के विकास के लिए खते हैं जैसे, गैर-मुस्लिम समुदाय में मुसलमानों का बहिष्कार किया जाता है और इसके विपरीत यह उन लोगों के लिए समाज से बहिष्कार का कारण बनती है जो विभिन्न समुदायों से सम्बन्ध | आवश्यक सकारात्मक सुधारों को स्वीकार करने से रोकती है। पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो राष्ट्र के विकास में बाधक है। इसलिए इसे किसी भी उसके लिए यह बहुत भयानक है। इससे राष्ट्रीय सम्पत्ति प्रभावित होती है साथ ही विदेशी सम्बन्धों यह बहुत ही उच्च स्तर की विनाशकारी शक्ति रखती है, जिस देश, समाज और समुदाय में बढ़ने से रोकना चाहिए। असहिष्णुता रोकने के उपाय दिया लोगों के बीच सहिष्णुता को बढ़ावा देना चाहिए और असहिष्णुता को हतोत्साहित ि चाहिए। सहिष्णुता को कई प्रयोगों के द्वारा बढ़ावा देना चाहिए। अंतरंग अन्तर समूह सम्पर्क दूसरे के निजी अनुभवों को बढ़ाता है और अहिष्णुता को कम करता है। अंतरंग अन्तर समूहसम् एक-दूसरे के निजी अनुभवों को बढ़ाता है और असहिष्णुता को कम करता है। अंतरंग अन्तरसम सम्पर्क को प्रभावी और उपयोगी बनाने के लिए जारी रखा जाना चाहिए। वार्ता तन्त्र भी दोनों श में संचार को बढ़ाने के लिए कारगर हो सकता है। यह उनकी जरूरतों और हितों को व्यक्त कर के लिए लोगों की सहायता करता है। मीडिया को भी सांस्कृतिक संवेदनशीलता के प्रति सहि और समझ को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक छवियों का चयन करना चाहिए। शिक्षा, सम में संहिष्णुता और शान्तिपूर्ण यह अस्तित्व को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा माध्यम है। छात्रों क स्कूल में सहिष्णु वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान क सकें और उन्हें समझ सकें। छात्र सहिष्णु वातावरण में बेहतर सांस्कृतिक समझ विकसित कर सक हैं। निष्कर्ष स्पष्ठतः हम यह नहीं कह सकते हैं कि भारत में असहिष्णुता है। यह देश 'विविधत के में एकता' का सबसे उत्तम उदाहरण है। यह विविधता में एकता के अपने अनूठे गुण के कारण तेजी से विकास करने वाला देश है। यह वह देश है जहाँ अलग-अलग जाति, पंथ, धर्म, रिवाज, अ सांस्कृति, परम्परा और प्रथा को मानने वाले लोग वर्षों से बिना किसी भेदभाव के रह रहे हैं। वे अपने त्योहारों और उत्सवों को बहुत उत्साह के साथ बिना किसी दूसरे समूह के हस्तक्षेप के मनाते हैं। वे एक-दूसरे के धर्म, रिवाज, विश्वास, मान्यता और प्रथा की सही समझ रखते हैं। भारत के नागरिक सहिष्णुता का गुण रखते हैं, जो उन्हें 'जियो और जीने दो' की क्षमता प्रदान करता है।