सौर ऊर्जा
भारत के लिए सौर ऊर्जा की उपादेयता ऊर्जा मानव विकास के सबसे महत्ववपूर्ण रचना खंडों में से एक है। साथ ही विभिन्न देशों के आर्थिक विकास के मापन का एक प्रमुख साधन भी है किसी राष्ट्र के समग्र विकास तथा वहां की प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत में सीधा संबंध पाया जाता है। ऊर्जा के विभिन्न स्रोत हैं, जिनमें पारंपरिक वं गैर-पारंपरिक स्त्रोत दोनों शामिल हैं। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत वे हैं, जो प्राकृति में तय तथा सीमित मात्रा में उपलब्ध होते हैं। जीवाश्म ईंधन (पेट्रोलियम, कोयला आदि) पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का एक प्रमुख उदाहरण है। जबकि गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत पृथ्वी पर असीमित मात्रा में हैं। इस प्रकार के ऊर्जा स्रोत अक्षय (Renewable) होते हैं। सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा आदि इस प्रकार के ऊर्जा स्रोतों के कुछ उदाहरण है। जैसे कि हमें विदित है कि जीवाश्म ईंधन के भंडार सीमित हैं, जो भविष्य में समाप्त हो जाएंगे। ऐसे में हमें अभी से ऊर्जा के नए-नए स्रोत तलाशने होंगे। ऊर्जा संकट की इस परिस्थिति में समाधान के रूप में सौर ऊर्जा सबसे महत्त्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर कर सामने आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह निरापद, सर्वसुलभ और बार-बार प्रयोग में लाई जा सकने वाली ऊर्जा है, साथ ही इसका भंडार भी अक्षय है।
भारत में पारंपरिक तौर पर सौर ऊर्जा का प्रयोग घरेलू तथा कृषि कार्यों में सदियों से होता रहा है। सूर्य की धूप का प्रयोग खद्यात्रों, वस्त्रों को सुखाने और घरेलू सामानों एवं कृषि उपकरणों के उपचार के लिए होता रहा है। लेकिन अब वैज्ञानिक तरक्की से सौर विकिरण को विद्युत में बदलने की तकनीक विकसित हो चुकी है। सौर पैनलों द्वारा सौर ऊर्जा को विद्युत में बदल दिया जाता है। सौर शक्ति में प्रदूषण उत्पन्न किए बिना विद्युत उत्पादन की अपरिमित क्षमता है। चूकिं भारत में मांग की तुलना में विद्युत उत्पादन कम है, अतः इस परिस्थिति में विद्युत आपूर्ति को सौर ऊर्जा के माध्यम से बेहतर किया जा सकता है। भारत में सौर ऊर्जा के विकास की असीम संभावनाएं हैं, क्योंकि देश के अधिकतम हिस्सों मं वर्षभर में 250-300 दिनों तक सूर्य चमकता रहता है अतः सौर ऊर्जा को ताप एवं विद्युत, दोनों में रूपांतरित करके हर जगह इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। नवीकरणीय की महत्ता को महसूस करते हुए भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने की अपनी कार्ययोजना में संयुक्त राष्ट्र को प्रस्तुत 'इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC) में वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी, जिसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 100 गीगावॉट है। अक्टूबर, 2018 तक की स्थिति के अनुसार, देश में लगभग 73.35 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का सृजन किया जा चुका है, जिसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 24.33 गीगावॉट है। समय स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता की दृष्टि से भारत वर्तमान में विश्व में 5वें स्थान पर है। वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत सरकार ने 40 गीगावॉट के छत आधारित और वैद्युत उत्पादन एवं 60 गीगावॉट के मध्यम विकेंद्रित ऑफ ग्रिड कनेक्शन की एक विस्तृत रूपरेखा बनाई है। सौर विद्युत उत्पादन में वृद्धि के लिए निजी कंपनियों एवं नामित एजेंसियों के अलावा भारत सरकार की भी इस काम में प्रमुख भूमिका निभा रही है। देश भर में सौर पार्कों की स्थापना की जा रही है। नवंबर, 2018 तक देश के 21 राज्यों में 26,694 मेगावॉट कुल क्षमता के साथ 47 सौर पार्कों को मंजूरी प्रदान की जा चुकी है। वर्ष 2015 में कोच्चि हवाई अड्डा (केरल) विश्व का पहला सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा बना था। दिल्ली मेट्रो, भारतीय रेलवे, सीपीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए गए केंद्रीय भवन आदि सभी सौर विद्युत से प्रकाशित हैं। भारत सरकार द्वारा 'अटल ज्योति' लांच की गई है, जिसका उद्देश्य अपर्याप्त विद्युत उपलब्धता वाले क्षेत्रों में सौर ऊर्जा आधारित स्ट्रीट लाइटों की स्थापना करना है। सरकार की 'सोलर स्टडी लैंप स्कीम' (Sloor Study Lamp Scheme) से स्कूल जाने वाले लगभग 7 मिलीयन बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। सौर प्रौद्योगिकी के अंतराल को भरने के लिए प्रधानमंत्री ने 'सौर प्रौद्योगिकी मिशन' (Solar Technology Mission) को भी लाँच करने की घोषणा की है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सौर संयंत्रों का विकास तथा विस्तार होने से देश की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति हो सकेगी तथा राष्ट्र ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकेगा। इससे प्रत्येक देशवासी को स्वच्छ एवं भरोसेमंद ऊर्जा उपलब्ध कराने का लक्ष्य भी हासिल हो सकेगा।